उत्तराखंड: 17 साल बाद सड़क बनने से चीन सीमा तक आसान हुई हथियारों की पहुंच, एक हफ्ते में कैलाश यात्रा
पिथौरागढ़: करीबन 17 साल के लंबे इंतजार के बाद आखिरकार पिथौरागढ़ जिले में चीन सीमा को जोड़ने वाली लिपुलेख सड़क बनकर तैयार हो गई है। यह भारत के लिए गर्व की बात होगी। बुधवार को रक्षा मंत्री Rajnath singh ने पिथौरागढ़ जिले में स्थित घटियाबगड़ से लिपुलेख दर्रे तक बनी सड़क का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये उद्घाटन किया। उन्होंने यह राष्ट्र को समर्पित की है। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने सड़क निर्माण के लिए BRO को भी शुभकामनाएं दी हैं। इस सड़क के बनने के साथ ही बहुत से कार्यों में राहत मिलेगी और भारत को काफी फायदा भी मिलेगा। सैन्य अफसरों ने इस पहल को सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना है। साथ ही चीन के बढ़ते प्रभुत्व को ध्यान में रखते हुए अन्य सीमाओं पर भी इसी तेजी से सड़क निर्माण कार्य को पूरा किए जाने की वकालत की है। यदि 1962 के चीन युद्ध जैसे हालात बने तो इससे सप्लाई चेन मजबूत बनेगी। यह देश की सुरक्षा के लिहाज से अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इस रास्ते सेना की टुकड़ियों का मूवमेंट आसानी से हो सकेगा। उत्तराखंड के बाराहोती सीमा पर अक्सर विवाद हो जाता है। कभी चीन के चरवाहे वहां तक पहुंच जाते हैं तो कभी उनकी सेना। ऐसे में यह सीमा सुर्खियों में रहती है। जहां चीन इस जगह को तिब्बत का मानता है, वहीं भारत इसे अपनी जगह बताता है। इस तरह के सीमा विवाद के बीच पिथौरागढ़ क्षेत्र में चीन सीमा तक सड़क पहुंचना सामरिक व रणनीतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। इसके जरिये अब आइटीबीपी के जवानों को तमाम सुविधाएं आसानी से पहुंचाई जा सकेंगी। ग्रामीण क्षेत्रों को भी सड़क सुविधा का लाभ मिलेगा।
कैलाश मानसरोवर यात्रा करने में आसानी होगी
विश्व प्रसिद्ध कैलास मानसरोवर यात्रा करने वालों के लिए भी खुशखबरी है। यात्रा करने में आसानी होगी। पहले कैलाश मानसरोवर तक का रास्ता तय करने में 21 दिन का लंबा समय लगता था अब उसी मानसरोवर की यात्रा 1 हफ्ते में तय हो जाएगी। सबसे कठिन मानी जाने वाली कैलाश मानसरोवर यात्रा को पूरी करने के लिए शिविर धारचूला से लगभग 80 किलोमीटर की दुर्गम यात्रा पैदल ही पूरी करनी पड़ती थी। मगर इस सड़क के बनने से यह यात्रा सुगम हो जाएगी। इस सड़क का निर्माण कार्य अब पूरा हो चुका है, इसी के साथ पिथौरागढ़ जिला प्रशासन और बीआरओ के अधिकारियों ने Naini Saini Airport से सेना और अर्धसैनिक बलों के वाहन लिपुलेख के लिए रवाना किए। वहीं आने वाले कुछ दिनों में सिविल गाड़ियों की भी सड़क पर आवाजाही शुरू हो जाएगी। इस सड़क के बनने के साथ भारतीय सेना का काम भी आसान हो जाएगा। बता दें कि चीन सीमा को जोड़ने वाली इस सड़क के निर्माण से बॉर्डर पर तैनात सेना और जवानों को आने-जाने में बहुत सुविधा होगी। अचंभे की बात है कि यह सड़क 17 साल की लंबी अवधि में बनी है।