औषधीय गुणों के लिये प्रसिद्ध उत्तराखण्ड का मंडुवा (रागी ) – Finger millet
उत्तराखण्ड - उत्तराखण्ड आज भी जैविक खानपान की परंपरा को अपनाये हुये है, सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों के लोग, गोबर की खाद डाल कर शुद्ध हवा, शुद्ध वायु ,जीरो पॉल्यूशन में अनाज उगाते हैं, वहाँ की ऐसी ही एक फसल के बारे में आपको जानकारी दी जा रही है, इस फसल का नाम मंडुवा ( रागी ) है ओर अँग्रेजी में इसे finger millet कहा जाता है, अपने औषधीय गुणों के लिये प्रसिद्ध है।
मंडुवा ( रागी ) को कई अलग-अलग स्थानीय नामों से जाना जाता है ,उत्तराखंड के कुमाँऊ क्षेत्र में इसे मंडुवा के नाम से जाना जाता है ,इसका आटा पोष्टिक तत्वों से भरपूर होता है जिसका इस्तेमाल रोटी, सूप, जूस, उपमा, डोसा, केक, चॉकलेट, बिस्किटस, चिप्स, और आयुर्वैदिक दवा के रूप में होता है।
यहाँ घरो में मंडुवे के आटे को गेंहू के आटे के साथ मिलाकर रोटी बनाकर खाई जाती है। ये शरीर को कई बीमारियों से निजात दिलाता है, मंडुवा के आटे में केल्शियम, प्रोटीन, ट्रिपटोफैन, आयरन, मिथियोनिन, रेशे, लेशिथिन जैसे पौष्टिक तत्व पाये जाते हैं।
मंडुवा खाने के फायदे
1 हड्डियों को रखे मजबूत
मंडुवा ( रागी ) के आटे में 80 प्रतिशत कैल्शियम की मात्रा पाई जाती है , इस कारण ये हड्डियों में ऑस्टियोपोरोसिस होने से बचाने में सहायक है।
2 झुर्रियाँ रोकने में सहायक
मंडुवे का आटा खाने से स्किन हमेशा जवां बनी रहती है। इसमें मौजूद एमिनो एसिड की मदद से स्किन टिश्यू झुकते नहीं है जिससे झुर्रियां नहीं पड़ती हैं। इसके अलावा ये विटामिन डी का भी अच्छा सोर्स है, इसकी रोटी खाने से त्वचा खूबसूरत बनी रहती है। इससे निर्मित फेस पैक, फेस मास्क त्वचा से दाग, धब्बे मिटाने में खास सहायक है।
3 एनिमिया में फायदेमंद
मंडुवे का आटा आयरन का मुख्य स्त्रोत है। एनिमिया से जूझ रहे और कम हिमोग्लोबिन वाले मरीजों के लिए यह लाभदायक है, खासकर महिलाओं को तो इसका सेवन करना चाहिए। अगर मंडुवा को अंकुरित करके खाया जाए तो विटामिन सी का लेवल और बढ़ जाता है और आयरन शरीर में आसानी से पच जाता है और खून में आसानी से मिल जाता है।
4 कब्ज से छुट्टी
मंडुवा खाने से पेट की गैस कब्ज की समस्या कम होती है और पाचन शक्ति सुचारू होती है, ये एक ऐसा अनाज है जो जल्दी पच जाता है।
5 स्ट्रेस से उबारे
मंडुवा के आटे में एमिनो एसिड, एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं जो प्राकृतिक तरीके से आपको तनाव मुक्त रखतें हैं। माइग्रेन की बीमारी में भी बेहद फायदेमंद है, ये आपको स्ट्रेस फ्री रखता है।
6 वजन नहीं बढ़ने देता
मंडुवा के आटे में फाइबर भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इसे खाने के बाद पेट अधिक समय तक भरा-भरा रहता है, इससे भूख कम लगती है और वजन कम होने में मदद भी मिलती है। इसके अलावा ये ब्लड शुगर लेवल को भी कम करता है।
7 ब्रेस्ट मिल्क में बढ़ावा
जो माँ कम ब्रेस्टमिल्क की समस्या से जूझ रही हैं, उन महिलाओं को रोजाना मंडुवा की रोटी का सेवन करना चाहिए। इसमें पाया जाने वाला फोलिक एसिड, आयरन, कैल्शियम, प्रोटीन, फाइबर, विटामिंस से महिलाओं को पूरा मिनरल्स की पूर्ति आसानी होती है और ब्रेस्टमिल्क बढ जाता है।
100 ग्राम मंडुवा में औसतन 336 kcal ऊर्जा होती है।प्रोटीन 5 – 8%1 – 2 % ईथर के अर्क65 – 75 % कार्बोहाइड्रेट15 – 20 % आहार फाइबर 2.5 – 3.5 % खनिजकैल्शियम 344 %mg.पोटेशियम 408 %mgवसा मात्र 1.3 %
कुल मिलाकर मंडुवा एक संतुलित आहार है, जो मानव शरीर को कुपोषण से बचाने में सहायक होती है, उसमें भी ये जैविक हो तो सोने में सुहागा हो जाती है।